'संविधान सभा बने तो हथियार छोड़ेंगे'
रेणु अगाल
दिल्ली से बीबीसी संवाददाता
माओवादी राजशाही को हटाना चाहते हैं
नेपाल के माओवादी विद्रोहियों के नेता का कहना है कि अगर राजा ज्ञानेंद्र संविधान सभा का गठन करने पर राज़ी हो जाते हैं तो वे हथियार छोड़ सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो राजशाही को हटाने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा.
माओवादी विद्रोहियों ने भारत सरकार से कहा है कि वह अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि वह नेपाल में किस तरह का लोकतंत्र चाहता है.
बीबीसी हिंदी सेवा से एक विशेष बातचीत में माओवादी नेता कृष्ण बहादुर महरा ने एक अज्ञात स्थान से बीबीसी से बातचीत में कहा कि "हम साफ़ शब्दों में कह रहे हैं कि हम मुख्य धारा में लौट सकते हैं बशर्ते संविधान सभा का गठन हो, इसके बाद नेपाल की जनता ही तय करेगी कि कैसा लोकतंत्र होना चाहिए."
भारत सरकार नेपाल नरेश से जिस तरह का लोकतंत्र लागू करने को कह रही है वैसा लोकतंत्र हम नहीं चाहते. हम ऐसा लोकतंत्र चाहते हैं जो सही मायनों में जनता का लोकतंत्र हो
कृष्ण बहादुर महरा
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल (माओवादी) के प्रवक्ता महरा ने कहा, "अगर ऐसा हुआ तो हम हथियार छोड़कर लोकतांत्रिक धारा में आने को तैयार हैं."
राजा ज्ञानेंद्र के रवैए के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "अगर राजा तैयार हों संविधान सभा का गठन आसानी और शांति से हो सकता है लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम अपना संघर्ष तेज़ कर देंगे."
महरा ने कहा, "हम पिछले दस वर्षों से लड़ रहे हैं और हम राजनीतिक दलों से मिलकर अपना संघर्ष जारी रखेंगे ताकि ज़िद्दी राजा को बात समझ में आ जाए, और अगर वे नहीं समझेंगे तो हम उन्हें सत्ता से हटा देंगे."
उन्होंने कहा कि माओवादियों का राजा ज्ञानेंद्र से कोई व्यक्तिगत बैर नहीं है लेकिन वे राजशाही के ख़िलाफ़ हैं.
महरा ने कहा, "एक बार जब राजनीतिक व्यवस्था क़ायम हो जाती है तो हम हथियार छोड़कर उसमें शामिल हो सकते हैं लेकिन उसके पहले नहीं."
भारत
भारत की भूमिका के बारे में महरा ने कहा, "भारत सरकार नेपाल नरेश से जिस तरह का लोकतंत्र लागू करने को कह रही है वैसा लोकतंत्र हम नहीं चाहते. हम ऐसा लोकतंत्र चाहते हैं जो सही मायनों में जनता का लोकतंत्र हो."
उन्होंने कहा, "भारत को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और नेपाल की जनता के साथ मज़बूती से खड़े होना चाहिए."
महरा ने स्पष्ट किया कि उनका भारत सरकार के साथ कोई सीधा संपर्क नहीं है लेकिन हमें ऐसा लगता है कि भारत नेपाली जनता के साथ है न कि राजशाही के साथ.
नेपाल में राजा ज्ञानेंद्र ने पिछले वर्ष शेर बहादुर देऊबा की सरकार को बरख़ास्त करके सत्ता अपने हाथ में ले ली थी.